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सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले दोषी को 25 साल की जेल, अटैक में लेखक ने गंवा दी थी एक आंख

सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले दोषी को 25 साल की जेल, अटैक में लेखक ने गंवा दी थी एक आंख

विश्व प्रसिद्ध भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला करने वाले व्यक्ति हादी मातर को शुक्रवार को 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. यह हमला 2022 में हुआ था जब अमेरिका में लेखक मंच से भाषण दे रहे थे. फरवरी 2025 में एक जूरी ने हादी को हत्या के प्रयास में दोषी करार दिया था.

रुश्दी ने अदालत में बयान नहीं दिया

इस हमले में बुकर्स पुरस्कार विजेता लेखक सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई थी. जूरी जब हादी के सजा सुना रही थी तो सुनवाई के दौरान सलमान अदालत में उपस्थित नहीं थे. उन्होंने एक ‘विक्टिम इम्पैक्ट स्टेटमेंट’ अदालत को भेजा था. इसमें उन्होंने हमले की स्थिति का व्याख्या करते हुए बताया कि उन पर चाकू से 12 बार हमला किया गया, तब उन्हें लगा कि वह मरने वाले हैं.

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आरोपी ने ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति’ पर दिया बयान

आरोपी हादी मातर ने सजा सुनाए जाने के पहले अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि रुशदी पाखंडी हैं. हादी बोला – सलमान दूसरे लोगों का अपमान करना चाहते हैं. वह एक बदमाश बनना चाहते हैं, वह दूसरे को धमकाना चाहते हैं. इससे मैं सहमत नहीं हूं.

यह भी पढ़ें: सलमान रुश्दी पर अटैक करने वाला शख्स दोषी करार, हमले ने छीन ली थी लेखक की एक आंख की रोशनी

कोर्ट ने क्यों सुनाई अधिकतम सजा?

अभियोजन पक्ष के अनुसार, सलमान पर जब हमला किया गया तो वहां करीब 1400 लोग मौजूद थे. मातर ने जानबूझकर योजना बनाई थी ताकि सलमान ही नहीं, बल्कि वहां मौजूद परे समुदाय को चोट पहुंच सके.

हालांकि, बचाव पक्ष ने अदालत में दलील दी कि मातर के खिलाफ पहले से कोई भी आपराधिक मामले दर्ज नहीं हैं. इसलिए 12 साल की सजा दी जाए. मीडिया ट्रायल और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों ने मामले को प्रभावित किया. 

घायल सहयोगी के लिए 7 साल की सजा भी

मंच पर लेखक सलमान के सहयोगी को भी घायल करने के लिए मातर को सात साल की सजा 7 मई को सुनाई गई. हालांकि, दोनों सजाएं एकसाथ ही चलेंगी.

हमले के पीछे 1989 की फतवा?

अधिकारियों के अनुसार, हादी मातर ने हमला 1989 में जारी की गई फतवा को लेकर किया, जिसे ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खुमैनी ने जारी किया था. 

हादी मातर ने स्वीकार किया कि वह लेबनान स्थित आतंकवादी संगठन हिज़्बुल्ला के समर्थन में काम कर रहा था. 2006 में हिज़्बुल्ला के महासचिव हसन नसरल्लाह ने इस फतवे का समर्थन किया था.

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Written by Buzzapp Master

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