सऊदी, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे खाड़ी देशों में भिखारियों को लेकर पाकिस्तान की फजीहत अब आम बात हो गई है. ये देश हजारों की संख्या में पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट कर रहे हैं. हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें खुलासा हुआ था कि सऊदी अरब ने बीते 16 महीनों में 5 हजार से अधिक पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट किया है. फटेहाल पाकिस्तान के भिखारी यूएई, कतर, ओमान, इराक और मलेशिया जैसे देशों से भी भगाए जा रहे हैं. भिखारियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती झेल रहे पाकिस्तान ने डिपोर्ट किए गए अपने लोगों के खिलाफ कदम उठाने का फैसला किया है.
पाकिस्तान ने डिपोर्ट किए गए अपने भिखारियों का पासपोर्ट कैंसिल करने, उन पर पांच साल का ट्रैवल बैन लगाने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया है.
मामले की जानकारी रखने वाले पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि हालिया सीनेट बैठक में डिपोर्ट किए गए 7,873 भिखारियों के खिलाफ यह कार्रवाई की जाएगी. ये भिखारी 2019 से 2025 के बीच सऊदी अरब, ओमान और कतर से डिपोर्ट किए गए हैं. ये सभी अंतरराष्ट्रीय भिखमंगी सिंडिकेट का हिस्सा हैं.
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भिखारियों के पैसे से चल रहा पाकिस्तान, दबाव बढ़ा तो उठाया कदम
2023 में पाकिस्तान की सीनेट कमिटी ने खुलासा किया था कि विदेशों में जितने भी भिखारी पकड़े जाते हैं, उनमें 90% पाकिस्तानी होते हैं. पाकिस्तानी तीर्थ यात्रा के लिए वीजा लेकर सऊदी, ईरान और इराक जैसे देशों में जाते हैं और फिर भीख मांगने लगते हैं. भिखारियों को देखते हुए खाड़ी देश पाकिस्तानियों को वीजा देने में भी आनाकानी करने लगे हैं जो पाकिस्तान के लिए भारी बेइज्जती की बात है.
बावजूद इसके, पाकिस्तान अपने भिखारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करता क्योंकि विदेशों में भीख मांग रहे भिखारी कंगाल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में अनुमान लगाया था कि पाकिस्तान के 2.2 करोड़ लोग भिखमंगी में संलिप्त हैं जो हर साल 42 अरब पाकिस्तानी रुपये का योगदान देते हैं.
पाकिस्तान के भिखारी विदेशों में भीख मांगकर लाखों कमाते हैं जो देश की जीडीपी का अहम हिस्सा है. ऐसे में पाकिस्तान भिखारियों के मुद्दे पर तब तक आंख मुंदे था जब तक कि सऊदी, यूएई समेत खाड़ी देशों में उसकी थू-थू न हो गई. पाकिस्तान की इमेज एक भिखमंगे देश से ज्यादा नहीं रह गई है और दबाव बढ़ता देख उसने अपने भिखारियों के खिलाफ यह कार्रवाई करने का फैसला किया है.
एक तरफ सरकार मांग रही भीख, दूसरी तरफ विदेशों में फैले पाकिस्तानी भिखमंगे
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिले बेलआउट पैकेज के भरोसे चल रही है. शहबाज शरीफ की सरकार देश चलाने के लिए कथित मित्र देशों चीन, सऊदी अरब जैसे देशों से मिले पैसे पर निर्भर हैं.
शहबाज शरीफ अपने आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ हाल ही में ईरान, तुर्की, अजरबैजान जैसे देशों के दौरे पर गए थे. इस दौरे से लौटने के बाद उन्होंने कबूला था कि उनके मित्र देश भी अब उन्हें ‘भीख’ देना नहीं चाहते हैं. शरीफ ने कहा था, ‘हमारे मित्र देश भी नहीं चाहते कि पाकिस्तान उनके सामने अब भीख का कटोरा लेकर जाए.’
शहबाज शरीफ सरकार किस कदर विदेशों में पैसों के लिए भीख मांगती है, इसे लेकर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता और जेल में बंद पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी टिप्पणी की थी. 2023 में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भीख का कटोरा लेकर दुनियाभर में घूम रहे हैं लेकिन कोई भी देश उन्हें एक पैसा तक नहीं दे रहा है.
भिखमंगी को लेकर बोले पाकिस्तानी गृह मंत्री
भिखमंगी को लेकर इंटरनेशनल बेइज्जती झेल रहे पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने भी इस्लामाबाद में एक बैठक की है जिसमें उन्होंने सीमा सुरक्षा को बढ़ाकर भिखारियों पर नकेल कसने का फैसला किया है.
नकवी ने कहा कि भिखमंगी माफिया को खत्म करना होगा और इसे गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पांच सालों का ट्रैवल बैन, भिखारियों को विदेश भेजने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, देश के अंदर भिखमंगी माफिया के खिलाफ कार्रवाई से विदेशों में जाकर भीख मांगने के मामले खत्म होंगे और देश की छवि में सुधार होगा.
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